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राजस्थानटोंकसचिन पायलट ने लिया आचार्य से आशीर्वाद

सचिन पायलट ने लिया आचार्य से आशीर्वाद

टोंक । आचार्य वर्धमान सागर महाराज ने जीवन में आपदा और कष्ट क्यों आते है, इससे बचने के क्या उपाय हैं, कर्मो का क्या प्रभाव शरीर आत्मा पर होता है अहिंसा, सत्य धर्म का जीवन में क्या महत्व है, इसकी प्रवचन में विवेचना की संसारी प्राणी को आपदा या कष्ट से निराशा होती है तथा निराशा दूर करने की वह खोज करता है, रोग बीमारी की आपदा डॉक्टर से चोरी होने पर पुलिस की मदद लेता है।

वर्तमान में गरीबी दरिद्रता भी आपदा कष्ट है, यह देशना वात्सल्य वारिधी पंचम पट्टाधीश 108 आचार्य वर्धमान सागर ने प्रगट की। राजेश पंचोलिया के अनुसार आचार्य ने बताया कि आदिनाथ भगवान से लेकर महावीर स्वामी तक सभी तीर्थंकरों ने कष्ट आपदा से दूर होने के लिए धर्म का उपाय बताया है।

धर्म उपदेश को सुनकर, धारण कर ग्रहण करना चाहिए। जिस प्रकार धन उपार्जन करने के लिए आप मेहनत करते हैं, पसीना बहाते है, गर्मी और कष्ट भी महसूस नहीं होता है, उसी प्रकार धर्म धारण करते समय संयम एवं तप से कष्ट नहीं होता है, संत आत्मा के कल्याण के लिए संयम धारण करते हैं।

आचार्य ने 148 कर्मों की चर्चा कर बताया कि जिस प्रकार इंजीनियर मकान बनाता हैं, उसी प्रकार निर्माण, नाम ओर आयु कर्म शरीर को निर्धारित करते हैं, संसार में जन्म मरण से छुटकारे का उपाय धर्म से प्राप्त होता हैं, जीवन में अहिंसा का महत्व है राग द्वेष विषय भोगों से आत्म धर्म को हिंसा से बचाने का पुरुषार्थ करना चाहिए। इसका उपाय बताया कि कछुआ जिस प्रकार संकट आने पर शरीर के अंगों को संकुचित नियंत्रित शरीर को कठोर बनाता हैं, उसी प्रकार आपको भी 5 इन्द्रियों को संकुचित ओर नियंत्रित कर तप संयम से आत्मा की रक्षा करना चाहिए।

धर्म के बिना सभी निर्धन दरिद्र है, जीवन में प्राप्त तीर्थंकर कुल से जीवन को उच्च बनाकर मानव जीवन सफल करे। आचार्य के प्रवचन के पूर्व आर्यिका दिव्ययश मति माताजी का प्रवचन हुआ। आपने अमीर गंज को धन धान्य ओर पुण्य से अमीर बताया, इसी पुण्य के कारण आचार्य वर्धमान सागर का चातुर्मास टोंक समाज को मिला है। जीवन में धर्म का पुरुषार्थ करो सर्वोच्च गुणों की संपदा युक्त मानव जीवन बनाना चाहिए।

गुणों की संपदा में उदारता, दानशीलता, करुणा, संवेदना, सहानुभूति की भावना होना चाहिए । पुण्यवान व्यक्ति को आपदा, विपदा नहीं आती है। भाग्य रूठने से ओर पुण्य कमजोर होने से संचित धन भी नष्ट हो जाता है। दान तन, मन और धन से किया जाता हैं। नदी देती हैं तो पानी मीठा होता हैं, सागर समुद्र लेता है, इस कारण उसका पानी खारा होता हैं और नाला पानी का संग्रह करता हैं उसका पानी सड़ांध देता हैं, इसी प्रकार आपको भी धर्म कार्य में दान देना चाहिए।

दान और त्याग में त्याग बड़ा होता हैं। समाज के धर्म प्रचारक प्रवक्ता पवन कंटान एवं विकास जागीरदार के अनुसार धर्म सभा में श्रीजी और पूर्वाचार्य का चित्र का अनावरण दीप प्रज्वलन अहिंसा सर्किल जिनालय के श्रावक व श्राविकाओं द्वारा किया जाकर आचार्य के चरण प्रक्षालन कर जिनवाणी भेंट की ।

इस मौके पर झाड़ोल से पधारे कलाकार गोरधन के भक्तिमय भजनों पर बड़े भक्ति भाव से भक्ति नृत्य करते हुए श्रद्धालुओं अष्टद्रव्य समर्पित किया एवं सुनील सर्राफ ने पूजन व्यवस्था में सहयोग किया। इस मौके पर आचार्य वर्धमान सागर महाराज ने सभी श्रावकों को कूलर व ऐसी का त्याग देकर नियम दिलाया । आचार्य संघ के आहार के चौके लगाने के लिए बाहर के नगरों से काफी भक्त पधार रहे हैं, टोंक सहित इंदौर, पारसोला, निवाई के चौके लगे हैं, कलकत्ता वालो को आचार्य का आहार कराने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।

इस अवसर पर पूर्व उप-मुख्यमंत्री व टोंक विधायक सचिन पायलट जैन नसिया अमीरगंज पधारे, वहां आदिनाथ जिनालय में श्रीफल भेंट कर दर्शन किया । तत्पश्चात आचार्य को श्रीफल भेंट कर दर्शन कर अनेक विषयों पर मार्ग दर्शन प्राप्त कर आशीर्वाद लिया एवं आचार्य ससंघ की दिनचर्या से बहुत प्रभावित हुए, समाज के लोगों ने उनको 24 घंटे में एक बार आहार व जल ग्रहण करने पर, वो भी विधि पूर्वक ओर अनेक चर्या से विधायक बहुत प्रभावित हुए। आचार्य ने टोंक विधायक को एक पुस्तक आचार्य शान्तिसागर महाराज के जीवनी की प्रदान की।

इस मौके पर भागचंद फुलेता, धर्मचंद दाखिया, कमल आंडरा, राजेश सर्राफ, राजेश बोरदा, धर्मचंद पासरोटियां, सुरेश मलारना, सुरेश संघी, कमल सर्राफ, रोनित श्यामपुरा, नीटू छामुनिया, पंकज फुलेता, ओम ककोड़, एंजे दाखिया, अंशुल आरटी, अम्मू छामुनिया, विनायक कल्ली, लोकेश कल्ली, राजेश शिवाडिय़ा आदि उपस्थित रहे ।

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वर्तमान में गरीबी दरिद्रता भी आपदा कष्ट है, यह देशना वात्सल्य वारिधी पंचम पट्टाधीश 108 आचार्य वर्धमान सागर ने प्रगट की। राजेश पंचोलिया के अनुसार आचार्य ने बताया कि आदिनाथ भगवान से लेकर महावीर स्वामी तक सभी तीर्थंकरों ने कष्ट आपदा से दूर होने के लिए धर्म का उपाय बताया है।

धर्म उपदेश को सुनकर, धारण कर ग्रहण करना चाहिए। जिस प्रकार धन उपार्जन करने के लिए आप मेहनत करते हैं, पसीना बहाते है, गर्मी और कष्ट भी महसूस नहीं होता है, उसी प्रकार धर्म धारण करते समय संयम एवं तप से कष्ट नहीं होता है, संत आत्मा के कल्याण के लिए संयम धारण करते हैं।

आचार्य ने 148 कर्मों की चर्चा कर बताया कि जिस प्रकार इंजीनियर मकान बनाता हैं, उसी प्रकार निर्माण, नाम ओर आयु कर्म शरीर को निर्धारित करते हैं, संसार में जन्म मरण से छुटकारे का उपाय धर्म से प्राप्त होता हैं, जीवन में अहिंसा का महत्व है राग द्वेष विषय भोगों से आत्म धर्म को हिंसा से बचाने का पुरुषार्थ करना चाहिए। इसका उपाय बताया कि कछुआ जिस प्रकार संकट आने पर शरीर के अंगों को संकुचित नियंत्रित शरीर को कठोर बनाता हैं, उसी प्रकार आपको भी 5 इन्द्रियों को संकुचित ओर नियंत्रित कर तप संयम से आत्मा की रक्षा करना चाहिए।

धर्म के बिना सभी निर्धन दरिद्र है, जीवन में प्राप्त तीर्थंकर कुल से जीवन को उच्च बनाकर मानव जीवन सफल करे। आचार्य के प्रवचन के पूर्व आर्यिका दिव्ययश मति माताजी का प्रवचन हुआ। आपने अमीर गंज को धन धान्य ओर पुण्य से अमीर बताया, इसी पुण्य के कारण आचार्य वर्धमान सागर का चातुर्मास टोंक समाज को मिला है। जीवन में धर्म का पुरुषार्थ करो सर्वोच्च गुणों की संपदा युक्त मानव जीवन बनाना चाहिए।

गुणों की संपदा में उदारता, दानशीलता, करुणा, संवेदना, सहानुभूति की भावना होना चाहिए । पुण्यवान व्यक्ति को आपदा, विपदा नहीं आती है। भाग्य रूठने से ओर पुण्य कमजोर होने से संचित धन भी नष्ट हो जाता है। दान तन, मन और धन से किया जाता हैं। नदी देती हैं तो पानी मीठा होता हैं, सागर समुद्र लेता है, इस कारण उसका पानी खारा होता हैं और नाला पानी का संग्रह करता हैं उसका पानी सड़ांध देता हैं, इसी प्रकार आपको भी धर्म कार्य में दान देना चाहिए।

दान और त्याग में त्याग बड़ा होता हैं। समाज के धर्म प्रचारक प्रवक्ता पवन कंटान एवं विकास जागीरदार के अनुसार धर्म सभा में श्रीजी और पूर्वाचार्य का चित्र का अनावरण दीप प्रज्वलन अहिंसा सर्किल जिनालय के श्रावक व श्राविकाओं द्वारा किया जाकर आचार्य के चरण प्रक्षालन कर जिनवाणी भेंट की ।

इस मौके पर झाड़ोल से पधारे कलाकार गोरधन के भक्तिमय भजनों पर बड़े भक्ति भाव से भक्ति नृत्य करते हुए श्रद्धालुओं अष्टद्रव्य समर्पित किया एवं सुनील सर्राफ ने पूजन व्यवस्था में सहयोग किया। इस मौके पर आचार्य वर्धमान सागर महाराज ने सभी श्रावकों को कूलर व ऐसी का त्याग देकर नियम दिलाया । आचार्य संघ के आहार के चौके लगाने के लिए बाहर के नगरों से काफी भक्त पधार रहे हैं, टोंक सहित इंदौर, पारसोला, निवाई के चौके लगे हैं, कलकत्ता वालो को आचार्य का आहार कराने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।

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