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राजस्थानटोंकRGHS के अधीन दवाई देने से केमिस्ट क्यो कतरा रहे है -...

RGHS के अधीन दवाई देने से केमिस्ट क्यो कतरा रहे है – मुख्य कारण

RGHS के अधीन दवाई देने से मुख्य कारण 

A. TPA द्वारा ग़लत और जबरदस्ती बिल को रिजेक्ट करना

ये दवा विक्रेता का काम नहीं है कि वह यह देखे कि डॉक्टर ने वाइटल लिखे या नहीं लिखे

अक्सर डॉक्टर बीमारी का नाम शोर्ट में लिखते है तो TPA ये कहकर बिल रिजेक्ट कर देता है कि “disease not understandable “क्या ये उचित है, सारे केमिस्ट की तरह RGHS में दवाई लिखने वाले डॉक्टर भी रजिस्टर्ड है तो उनकी गलती की सज़ा दुकानदार को क्यो ?? क्यो नहीं ये पैसे डॉक्टर के/ हॉस्पिटल के बिल में से वसूल किये जाते है, दुकानदार लाभार्थी को दवाई OTP लेकर देता है इसका मतलब उसने मरीज़ को दवाई दी है फिर इन चीजों की सज़ा सिर्फ़ दुकानदार को क्यो ??

Chief complaint का भी लिखकर बिल रिजेक्ट किया जाता है जबकि बीमारी का नाम पर्ची में लिखा होता है और भी कई कारण है जैसे

1. पर्ची पर टेस्टिंग रिपोर्ट का लिखा नहीं होना

2. पूर्व (Past) हिस्ट्री का नहीं लिखा होना 3. डाइट प्लान का लिखा ना होना

4. कई लाभार्थियो को डॉक्टर तीन महीने की दवाई लिख देता है लेकिन RGHS विभाग द्वारा एक माह की दवाई ही स्वीकृत है उस स्तिथि में जब पर्ची की वापस दूसरे या तीसरे माह में TID जेनेरेट की जाती है तो मरीज़ की फोटो साफ़ नहीं आती है तो भी बिल रिजेक्ट कर दिया जाता है जबकि लाभार्थी उसी पर्ची पे एक माह पूर्व दवाई ले चुका होता है और वह बिल अप्रूव्ड भी होता है5. कई बार डॉक्टर लाभार्थी के नाम के आगे Mr. या Mrs . लिख देता है तो भी नाम मिसमैच का लिखकर बिल रिजेक्ट कर दिया जाता है

6. ⁠कई बार यह लिखकर बिल रिजेक्ट कर दिया जाता है डॉक्टर द्वारा ज़्यादा दवाई लिखी हुई हैं …अगर डॉक्टर ने दवाई ज़्यादा लिखी है तो डॉक्टर से इंक्वायरी क्यो नहीं करते सिर्फ़ दुकानदार का बिल रिजेक्ट करना जिसमे उसकी कोई गलती नहीं और उसे लाभार्थी को दवा देने से हतोत्साहित करना होता हैं ये न्यायोचित नहीं हैं

7. ⁠कई बार ये लिखकर बिल रिजेक्ट कर दिया जाता कि ये दवाई RGHS में देय नहीं है..कई बार विभाग को सूचित करने के बाद भी rghs विभाग पोर्टल से अदेय दवाई नहीं हटाई जा रही है

B. सरकार द्वारा जब एग्रीमेंट किया गया था तब 21 दिन में भुगतान का एग्रीमेंट किया था लेकिन भुगतान के दिन बढ़ते बढ़ते 120 से 180 दिन तक हो गया है और बीच के कई बिलों का भुगतान पेंडिंग विथ TPA या पेंडिंग विथ CU करके अटका दिया जाता है और दुकानदार द्वारा बार बार mail या पत्रव्यवहार करने पर भी जवाब नहीं दिया जाता है

C. आज तक डॉक्टर द्वारा पर्ची में गलती करने पर किसी भी डॉक्टर से कुछ भी नहीं पूछा जाता ना ही उनके खिलाफ कोई एक्शन लिया जाता है सिर्फ और सिर्फ दुकानदार का बिल रिजेक्ट कर डॉक्टर की गलती की सज़ा दुकानदार को दी जाती है

D.पूर्व में कई बार विभाग से एक हेल्पलाइन की मांग की जा रही है ताकि दुकानदार की समस्या का निराकरण हो सके लेकिन विभाग द्वारा बार बार आश्वासन के बावजूद अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है

E.कई बार फार्मेसी द्वारा अपने डॉक्यूमेंट्स उपलब्ध कराए जाने पर विभाग द्वारा पोर्टल पर अपडेट नहीं किए जाते हैं और फार्मेसी का TMS बंद कर दिया जाता है और उसपे सुनवाई भी बड़ी मुश्किल से होती है

F. जैसा विभाग को भी विदित है 4 लाख बिल जो गायब है साथ ही वो बिल है जो 4 साल में बिना करण रिजेक्ट हुए है उन पर कोई समीक्षा नहीं की गई है

अंत हमारी सरकार से गुजारिश है कि वो इस मामले पर जल्दी ध्यान दें और दुकानदार की परेशानी का निवारण जल्दी करें, हमें दवा देने में कोई परेशानी नहीं पर हमारे डर की अभी कोई सीमा नहीं है। दवाई सभी लाभार्थी को समय पर मिल रहे हम इसी के लिए हमेशा तैयार हैं।

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RGHS के अधीन दवाई देने से मुख्य कारण 

A. TPA द्वारा ग़लत और जबरदस्ती बिल को रिजेक्ट करना

ये दवा विक्रेता का काम नहीं है कि वह यह देखे कि डॉक्टर ने वाइटल लिखे या नहीं लिखे

अक्सर डॉक्टर बीमारी का नाम शोर्ट में लिखते है तो TPA ये कहकर बिल रिजेक्ट कर देता है कि “disease not understandable “क्या ये उचित है, सारे केमिस्ट की तरह RGHS में दवाई लिखने वाले डॉक्टर भी रजिस्टर्ड है तो उनकी गलती की सज़ा दुकानदार को क्यो ?? क्यो नहीं ये पैसे डॉक्टर के/ हॉस्पिटल के बिल में से वसूल किये जाते है, दुकानदार लाभार्थी को दवाई OTP लेकर देता है इसका मतलब उसने मरीज़ को दवाई दी है फिर इन चीजों की सज़ा सिर्फ़ दुकानदार को क्यो ??

Chief complaint का भी लिखकर बिल रिजेक्ट किया जाता है जबकि बीमारी का नाम पर्ची में लिखा होता है और भी कई कारण है जैसे

1. पर्ची पर टेस्टिंग रिपोर्ट का लिखा नहीं होना

2. पूर्व (Past) हिस्ट्री का नहीं लिखा होना 3. डाइट प्लान का लिखा ना होना

4. कई लाभार्थियो को डॉक्टर तीन महीने की दवाई लिख देता है लेकिन RGHS विभाग द्वारा एक माह की दवाई ही स्वीकृत है उस स्तिथि में जब पर्ची की वापस दूसरे या तीसरे माह में TID जेनेरेट की जाती है तो मरीज़ की फोटो साफ़ नहीं आती है तो भी बिल रिजेक्ट कर दिया जाता है जबकि लाभार्थी उसी पर्ची पे एक माह पूर्व दवाई ले चुका होता है और वह बिल अप्रूव्ड भी होता है5. कई बार डॉक्टर लाभार्थी के नाम के आगे Mr. या Mrs . लिख देता है तो भी नाम मिसमैच का लिखकर बिल रिजेक्ट कर दिया जाता है

6. ⁠कई बार यह लिखकर बिल रिजेक्ट कर दिया जाता है डॉक्टर द्वारा ज़्यादा दवाई लिखी हुई हैं …अगर डॉक्टर ने दवाई ज़्यादा लिखी है तो डॉक्टर से इंक्वायरी क्यो नहीं करते सिर्फ़ दुकानदार का बिल रिजेक्ट करना जिसमे उसकी कोई गलती नहीं और उसे लाभार्थी को दवा देने से हतोत्साहित करना होता हैं ये न्यायोचित नहीं हैं

7. ⁠कई बार ये लिखकर बिल रिजेक्ट कर दिया जाता कि ये दवाई RGHS में देय नहीं है..कई बार विभाग को सूचित करने के बाद भी rghs विभाग पोर्टल से अदेय दवाई नहीं हटाई जा रही है

B. सरकार द्वारा जब एग्रीमेंट किया गया था तब 21 दिन में भुगतान का एग्रीमेंट किया था लेकिन भुगतान के दिन बढ़ते बढ़ते 120 से 180 दिन तक हो गया है और बीच के कई बिलों का भुगतान पेंडिंग विथ TPA या पेंडिंग विथ CU करके अटका दिया जाता है और दुकानदार द्वारा बार बार mail या पत्रव्यवहार करने पर भी जवाब नहीं दिया जाता है

C. आज तक डॉक्टर द्वारा पर्ची में गलती करने पर किसी भी डॉक्टर से कुछ भी नहीं पूछा जाता ना ही उनके खिलाफ कोई एक्शन लिया जाता है सिर्फ और सिर्फ दुकानदार का बिल रिजेक्ट कर डॉक्टर की गलती की सज़ा दुकानदार को दी जाती है

D.पूर्व में कई बार विभाग से एक हेल्पलाइन की मांग की जा रही है ताकि दुकानदार की समस्या का निराकरण हो सके लेकिन विभाग द्वारा बार बार आश्वासन के बावजूद अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है

E.कई बार फार्मेसी द्वारा अपने डॉक्यूमेंट्स उपलब्ध कराए जाने पर विभाग द्वारा पोर्टल पर अपडेट नहीं किए जाते हैं और फार्मेसी का TMS बंद कर दिया जाता है और उसपे सुनवाई भी बड़ी मुश्किल से होती है

F. जैसा विभाग को भी विदित है 4 लाख बिल जो गायब है साथ ही वो बिल है जो 4 साल में बिना करण रिजेक्ट हुए है उन पर कोई समीक्षा नहीं की गई है

अंत हमारी सरकार से गुजारिश है कि वो इस मामले पर जल्दी ध्यान दें और दुकानदार की परेशानी का निवारण जल्दी करें, हमें दवा देने में कोई परेशानी नहीं पर हमारे डर की अभी कोई सीमा नहीं है। दवाई सभी लाभार्थी को समय पर मिल रहे हम इसी के लिए हमेशा तैयार हैं।

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